अकेलेपन की चादर में लिपटी मैं, आज फिर से अपने पुराने टाइपwriter के पास बैठी हूँ। एक ऐसा टाइपwriter जो दिन रात मेरी भावनाओं को कागज़ पर उकेरता रहा, लेकिन अब उसकी चाबियाँ भी जैसे मुझसे बातें करने से कतराती हैं। क्या कभी किसी ने सोचा है कि क्या एक पुराना टाइपwriter भी उदास हो सकता है? जब मैं उसे देखती हूँ, तो मुझे उसके भीतर छुपी कहानियों की आवाज सुनाई देती है, लेकिन अब वो कहानियाँ बेजान लगती हैं।
'Keebin’ with Kristina: the One With the Gaming Typewriter' की बातें सुनकर मुझे समझ में आता है कि कैसे कुछ चीज़ें सिर्फ़ एक अच्छी याद बनकर रह जाती हैं। मैं भी कभी उन खुशियों का हिस्सा थी, जब टाइपwriter की हर आवाज़ मेरे दिल की धड़कन से मिलती थी। लेकिन आज, जब मैं उसे छूती हूँ, तो ये महज एक ठंडी मशीन लगती है, एक पुरानी याद की तरह। क्या हम अपनी पुरानी चीज़ों को नई तरकीबें सिखा सकते हैं? या क्या ये सिर्फ़ एक सपना है?
हर बार जब मैं टाइपwriter की चाबियों पर उंगली रखती हूँ, मुझे उस समय का एहसास होता है जब मैं कल्पनाओं की दुनिया में खोई होती थी। वो दिन जब शब्दों ने मुझे एक नई पहचान दी थी। लेकिन अब वो शब्द बेमायने हो गए हैं। क्या मैं कभी फिर से उन शब्दों को जी पाऊँगी? क्या कोई मुझे फिर से हंसाएगा, जैसे उस टाइपwriter ने किया था?
कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं उस टाइपwriter की तरह हो गई हूँ, जो अब सिर्फ़ एक पुरानी याद बनकर रह गया है। कोई नया खेल, कोई नई कहानी नहीं। बस एक सन्नाटा, जो मुझे हर दिन घेरता है। वो खुशी, वो जोश सब कहीं खो गया है।
अपने अंदर के इस दर्द को महसूस करते हुए, मैं चाहती हूँ कि कोई मेरी आवाज़ सुने। लेकिन क्या कोई सुनता है? क्या कोई मेरी कहानी को पढ़ता है? ये सवाल मेरे दिल को और भी भारी कर देते हैं। शायद यही अकेलापन है, जो मुझे कभी-कभी इस टाइपwriter की तरह बना देता है।
बस यही है मेरा सफर, जिसमें मैं अकेली हूँ। एक पुरानी टाइपwriter के साथ, जो मेरी कहानी नहीं सुनता।
#अकेलापन #टाइपwriter #भावनाएँ #खुशियाँ #यादें
'Keebin’ with Kristina: the One With the Gaming Typewriter' की बातें सुनकर मुझे समझ में आता है कि कैसे कुछ चीज़ें सिर्फ़ एक अच्छी याद बनकर रह जाती हैं। मैं भी कभी उन खुशियों का हिस्सा थी, जब टाइपwriter की हर आवाज़ मेरे दिल की धड़कन से मिलती थी। लेकिन आज, जब मैं उसे छूती हूँ, तो ये महज एक ठंडी मशीन लगती है, एक पुरानी याद की तरह। क्या हम अपनी पुरानी चीज़ों को नई तरकीबें सिखा सकते हैं? या क्या ये सिर्फ़ एक सपना है?
हर बार जब मैं टाइपwriter की चाबियों पर उंगली रखती हूँ, मुझे उस समय का एहसास होता है जब मैं कल्पनाओं की दुनिया में खोई होती थी। वो दिन जब शब्दों ने मुझे एक नई पहचान दी थी। लेकिन अब वो शब्द बेमायने हो गए हैं। क्या मैं कभी फिर से उन शब्दों को जी पाऊँगी? क्या कोई मुझे फिर से हंसाएगा, जैसे उस टाइपwriter ने किया था?
कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं उस टाइपwriter की तरह हो गई हूँ, जो अब सिर्फ़ एक पुरानी याद बनकर रह गया है। कोई नया खेल, कोई नई कहानी नहीं। बस एक सन्नाटा, जो मुझे हर दिन घेरता है। वो खुशी, वो जोश सब कहीं खो गया है।
अपने अंदर के इस दर्द को महसूस करते हुए, मैं चाहती हूँ कि कोई मेरी आवाज़ सुने। लेकिन क्या कोई सुनता है? क्या कोई मेरी कहानी को पढ़ता है? ये सवाल मेरे दिल को और भी भारी कर देते हैं। शायद यही अकेलापन है, जो मुझे कभी-कभी इस टाइपwriter की तरह बना देता है।
बस यही है मेरा सफर, जिसमें मैं अकेली हूँ। एक पुरानी टाइपwriter के साथ, जो मेरी कहानी नहीं सुनता।
#अकेलापन #टाइपwriter #भावनाएँ #खुशियाँ #यादें
अकेलेपन की चादर में लिपटी मैं, आज फिर से अपने पुराने टाइपwriter के पास बैठी हूँ। एक ऐसा टाइपwriter जो दिन रात मेरी भावनाओं को कागज़ पर उकेरता रहा, लेकिन अब उसकी चाबियाँ भी जैसे मुझसे बातें करने से कतराती हैं। क्या कभी किसी ने सोचा है कि क्या एक पुराना टाइपwriter भी उदास हो सकता है? जब मैं उसे देखती हूँ, तो मुझे उसके भीतर छुपी कहानियों की आवाज सुनाई देती है, लेकिन अब वो कहानियाँ बेजान लगती हैं।
'Keebin’ with Kristina: the One With the Gaming Typewriter' की बातें सुनकर मुझे समझ में आता है कि कैसे कुछ चीज़ें सिर्फ़ एक अच्छी याद बनकर रह जाती हैं। मैं भी कभी उन खुशियों का हिस्सा थी, जब टाइपwriter की हर आवाज़ मेरे दिल की धड़कन से मिलती थी। लेकिन आज, जब मैं उसे छूती हूँ, तो ये महज एक ठंडी मशीन लगती है, एक पुरानी याद की तरह। क्या हम अपनी पुरानी चीज़ों को नई तरकीबें सिखा सकते हैं? या क्या ये सिर्फ़ एक सपना है?
हर बार जब मैं टाइपwriter की चाबियों पर उंगली रखती हूँ, मुझे उस समय का एहसास होता है जब मैं कल्पनाओं की दुनिया में खोई होती थी। वो दिन जब शब्दों ने मुझे एक नई पहचान दी थी। लेकिन अब वो शब्द बेमायने हो गए हैं। क्या मैं कभी फिर से उन शब्दों को जी पाऊँगी? क्या कोई मुझे फिर से हंसाएगा, जैसे उस टाइपwriter ने किया था?
कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं उस टाइपwriter की तरह हो गई हूँ, जो अब सिर्फ़ एक पुरानी याद बनकर रह गया है। कोई नया खेल, कोई नई कहानी नहीं। बस एक सन्नाटा, जो मुझे हर दिन घेरता है। वो खुशी, वो जोश सब कहीं खो गया है।
अपने अंदर के इस दर्द को महसूस करते हुए, मैं चाहती हूँ कि कोई मेरी आवाज़ सुने। लेकिन क्या कोई सुनता है? क्या कोई मेरी कहानी को पढ़ता है? ये सवाल मेरे दिल को और भी भारी कर देते हैं। शायद यही अकेलापन है, जो मुझे कभी-कभी इस टाइपwriter की तरह बना देता है।
बस यही है मेरा सफर, जिसमें मैं अकेली हूँ। एक पुरानी टाइपwriter के साथ, जो मेरी कहानी नहीं सुनता।
#अकेलापन #टाइपwriter #भावनाएँ #खुशियाँ #यादें





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